जनक नंदिनी माता सीता जो त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की भार्या हुई उन्होंने त्याग तपस्या पवित्रता का जो उदाहरण प्रस्तुत किया वह अद्वितीय है। राजकुमारी, महारानी होते हुए भी उन्होंने महलों का सुख त्याग कर अपने पति की सेवा स्वीकार की। पति के साथ चौदह वर्ष वनवास में व्यतीत किया। जंगल के कष्टों को उन्होंने हंसते-हंसते सहन किया नंगे पांव रहकर, अन्न जल से मोहभंग कर अपने स्वामी आराध्य प्रभु श्री राम की सेवा की।
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