Under the Council, an initiative is being taken to construct a grand temple of Mother Sitaji in Sitamarhi, the place of birth of Goddess Sitaji. The Bihar State Religious Trust Board under the Government of Bihar has also allotted land to the Council for the construction of the temple of Mother Sitaji.
Read MoreThe council has prepared the biggest document on the struggle for the construction of the Shri Ram temple in Ayodhya. A Granth of more than 1250 pages is ready in Hindi. The translation is underway in many other foreign languages. It is to be released in many countries.
Read MoreTo promote the divine language ‘Sanskrit’, the Council has been publishing a fortnightly magazine 'Ramayana Varta'. The Council has also prepared a text book to provide training in the Sanskrit language through which people are being made aware of the Sanskrit language by conducting workshops and certificate courses.
Read MoreTo Cultivate a Dharmic and Cultured Society Our primary aim is to nurture a society steeped in dharma, where truth, discipline, and compassion guide every individual and institution, inspired by the values of Shri Ram and Sitaji.
Spiritual Research on Shri Ram and the Ramayana To undertake profound research into the life, teachings, and spiritual significance of Lord Shri Ram and the timeless verses of the Ramayana, interpreting them in ways that inspire and enlighten modern seekers.
मुझे यह जानकर बहुत प्रसन्नता है कि रामायण रिसर्च काउंसिल ने श्री राम जन्मभूमि पर राम मंदिर के निर्माण के लिये चले लम्बे संघर्ष पर गहन शोध किया है और इस इतिहास को पुस्तक रूप देने का निर्णय किया है।
मुझे यह जानकर हर्ष हुआ कि ‘रामायण रिसर्च काउंसिल’ द्वारा अयोध्या में निर्माणाधीन प्रभु श्रीराम मंदिर के लिए राम भक्तों द्वारा किए गए लंबे संघर्ष के गहन शोध पर आधारित पुस्तक ‘श्रीरामलला–मन से मंदिर तक’ का हिन्दी एवं संस्कृत के अलावा अन्य 10 अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में प्रकाशन किया जा रहा है।
यह जानकर सन्तोष हुआ है कि ‘रामायण रिसर्च काउंसिल’ प्रभु श्रीराम मंदिर संघर्ष के ऊपर गहन शोध के उपरान्त 1108 पृष्ठों की पुस्तक ‘श्रीरामलला–मन से मंदिर तक’ को जनमानस में लाने की तैयारी में जुटी है।
“पूनी पूनी कितनी हो सुनी सुनाई, मन की प्यास बुझे न बुझाई” प्रभु राम की कथा ही कुछ न्यारी और अनन्य है। “श्री रामलला – मन से मंदिर तक” ग्रंथ के यशस्वी अनावरण के लिये मेरी शुभकामना।
हर्ष का विषय है कि रामायण रिसर्च काउंसिल अयोध्या द्वारा प्रभु श्रीराम मंदिर निर्माण पर गहन शोध आधारित और सबसे अधिक 1,108 पृष्ठों वाली पुस्तक "श्रीरामलला - मन से मंदिर तक" का प्रकाशन किया जा रहा है।
रामायण रिसर्च काउंसिल के तत्वावधान में श्रीराम मंदिर - अयोध्या सम्बन्धी पर गहन शोध एवं विभिन्न विषयों को समावेश करनेवाली पुस्तक "श्रीरामलला - मन से मंदिर तक" का प्रकाशन किया जा रहा है, यह जानकर अति प्रसन्नता हुई।
सुदीर्घ संघर्ष के सुखद सफलता से श्री रामलला के भव्य मंदिर के निर्माण का कार्य प्रारंभ होने पर समस्त जन मानस प्रसन्नता से भाव-विभोर है। आज अनगिनत श्रीराम अनुयायियों के सदियों का स्वप्न साकार हो रहा है।
मुझे अत्यंत हर्ष की अनुभूति हो रही है तथा श्रीराम सीटों समिति के मुख्यकार्यकारिणी सदस्य के रूप में शामिल होने की आग्रही हूँ। मैं इस पवित्र कार्य हेतु प्रारंभ श्रीराम सीटों समिति के मुख्य कार्यकारिणी में शामिल होने की सहमति प्रदान करती हूँ।
आपके शुभकामनाओं के लिए मैं आभारी हूँ। इस भयंकर कोरोना महामारी के दौरान समाज में सकारात्मकता लाने और मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के गुणगान हेतु रामायण अनुसंधान परिषद्, अयोध्या द्वारा किये गए महान कार्यों से अवगत कराते हुए जो ग्रंथ आपने भेजा है, उसे पढ़कर मुझे बहुत खुशी हो रही है। रामायण अनुसंधान परिषद् का आगामी प्रकाशन "श्रीरामलला – मन से मंदिर तक" एक पवित्र और सार्थक कार्य है।